50 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा के साथ भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र एक बड़ी छलांग के लिए तैयार है
जे.पी. नड्डा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व से उभरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को स्वास्थ्य और कल्याण का उच्चतम संभव स्तर पाने और नतीजनन किसी आर्थिक कठिनाई का सामना किए बिना अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं तक हर किसी की पहुंच के लिए तैयार किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के विजन को पूरा करने की दिशा में एक कदम, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य सेवा के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए एक अग्रणी पहल है जिसके दो प्रमुख स्तंभ हैं।
पहला है, 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का निर्माण जो स्वास्थ्य सेवा को लोगों के घरों के करीब ले आएगा। दूसरा स्तंभ है, प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना (पीएमजेएवाई) जो गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करेगी। आयुष्मान भारत को स्वास्थ्य सेवा में एक आदर्श बदलाव लाने के लिए अपूर्व स्तर पर लागू किया जाएगा।
अगले कुछ दिनों के भीतर पीएमजेएवाई का लॉन्च ऐतिहासिक होगा क्योंकि यह भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों की पहुंच को सुनिश्चित करेगा, जो अब तक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और देश के विकास की कहानी से बाहर थे। दुनिया की सबसे बड़ी लक्षित स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में यह 50 करोड़ से अधिक गरीब और वंचित भातीयों को द्वितीय और तृतीय श्रेणी की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की चुनौती और अवसर भी प्रदान करता है। यह आबादी करीब-करीब पूरे यूरोप या अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको की संयुक्त आबादी के बराबर है। पीएमजेएवाई के तहत लाभार्थी 5 लाख रुपये प्रति परिवार प्रतिवर्ष के मेडिकल कवर के लिए पात्र होंगे।
इस योजना में आने वाले गरीबों को अब बीमारी की आर्थिक परेशानियों से नहीं जूझना पड़ेगा, वे महाजनों के जाल में फंसने से बच सकते हैं और अपने परिवारों को भयंकर दरिद्रता से बचा सकते हैं। नवीनतम राष्ट्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक, स्वास्थ्य पर होने वाले भारी-भरकम खर्च के कारण भारत में करीब 5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिए जाते हैं।
बीमारी अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करने की व्यक्ति की क्षमताओं को बाधित करके उसे अशक्त बना देती है और पूरे परिवार को घोर गरीबी में धकेल देती है। इसे देखते हुए पीएमजेएवाई ने गरीबों को अच्छी चिकित्सा देखभाल पाने के अपने सपने को साकार करने में मदद देने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें द्वितीय और तृतीय श्रेणी की चिकित्सा सेवा (अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद में) शामिल है। यह योजना आपातकालीन खर्चों को कम करते हुए और उपचार के लिए एक नकद रहित और कागज रहित प्रक्रिया शुरू करते हुए चिकित्सा के लिए भुगतान के मानसिक और आर्थिक बोझ को खत्म करने की कोशिश करेगी।
पीएमजेएवाई कई रूपों में स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। पहला, यह सबका साथ, सबका विकास के सरकार के वादे की दिशा में एक महत्वपूर्ण आंदोलन की शुरुआत है। दूसरे, यह स्वास्थ्य को हमारे नीतिगत एजेंडा में सामने लाते हुए उसे भाजपा नीत सरकार की एक अग्रणी पहल बनाता है।
तीसरे, यह बहुत सारे हितधारकों को साथ लाएगा और द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के शहरों में नए अस्पतालों, क्लीनिकों और नैदानिक प्रयोगशालाओं के खुलने का रास्ता साफ करेगा। अस्पतालों का बेहतर नेटवर्क निकट भविष्य में डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्टाफ के लिए बड़ी तादाद में नौकरियों की मांग को बढ़ाएगा। पीएमजेएवाई निजी और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार करते हुए आपूर्ति का विस्तार करेगा।
चौथे, यह पहल देश भर में प्रधान मंत्री आरोग्य मित्रों (पीएमएएम) नामक प्रमाणित अग्रणी स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के एक पूरे कैडर का निर्माण को भी प्रेरित करेगी। पीएमएएम अस्पताल में इलाज का लाभ उठाने के लिए लाभार्थियों की सुविधा का प्राथमिक बिंदु होंगे और इस प्रकार स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति को सुव्यवस्थित बनाने के लिए एक सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करेंगे। इसके अलावा, लाभार्थियों की पहचान के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। लाभार्थियों की पहचान के लिए 3 लाख से अधिक सेवा केंद्र हैं।
अंत में, पीएमजेएवाई में लोकतांत्रिक विश्व में सहकारी संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण बनने की क्षमता है। इसका सफल कार्यान्वयन केंद्र और राज्यों के बीच एक मजबूत साझेदारी पर आधारित होगा। अब तक 26 राज्य केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और बाकी राज्यों के भी आगे आने की संभावना है। यह योजना भारतीय स्वास्थ्य सेवा में आगे की ओर बड़ी छलांग के लिए तमाम टेक्नोलॉजी टूल्स के समेकन और सुचारू कामकाज का भी उदाहरण होगा।
(लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं। उनका यह आलेख The Times of India से साभार लिया गया है।)
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